लेखक का अनुमान है कि नेताजी की मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में ही स्थानीय कलाकार को दिया गया-

(क) मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के क्या भाव रहे होंगे?


(ख) हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को कैसे महत्व और प्रोत्साहन दे सकते हैं, लिखिए।

(क) मूर्तिकार एक स्थानीय व्यक्ति था। वह अपनी कला को पूर्णरूपेण मूर्ति के निर्माण में झोंक देना चाहता था। चाहे भले ही उसे मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में सौंपा गया होगा। फिर भी वह स्थानीय मूर्तिकार मूर्ति बनाने में अपनी कला-कौशल के प्रदर्शन में पीछे नहीं रहना चाहता था। ऐसा वह अपने काम के प्रति दूसरों के मन में विश्वास पैदा करने के उद्देश्य से भी कर रहा था ताकि उसका रोजगार चल निकले।

(ख) हमें अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों को मान-सम्मान देना ही है। वे चूंकि कलाकार होने के कारण समाज में उंचा स्थान रखते हैं इसलिए हमें उनकी पूछ करनी ही होगी, उन्हें महत्व देना ही होगा। चूंकि कलाकार एक संवेदनशील प्राणी होता है इसलिए हमें उनका मनोबल बनाये रखने के लिये हमें उन्हें विभिन्न अवसरों पर और भिन्न स्तरों पर सम्मानित करना ही होगा। वास्तव में समाज कलाकार का ऋणी होता है और समाज का यह फर्ज बनता है कि वो कलाकार का ऋण चुकाए। इसीलिये समाज के एक अंग होने के कारण हमें कलाकार का ऋण उसे महत्व देकर और उसका सम्मान कर चुकाना ही होगा|


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